बिहार के सिवान जिले के बंगरा गांव में 1912 में एक मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव का जन्म हुआ आपको बता दें कि वह बचपन से वकील बनना चाहता था लेकिन बाद में इसमें झूठ का सहारा लेते हुए अलग ही कारनामा कर डाला, इस शख्स को नटवरलाल के नाम से जाना जाता हैं, यह बहुत बड़ा ठग भी माना जाता है आपको बता दें कि यह कई सारे फर्जी हस्ताक्षर करने में माहिर था , सबसे पहले उसने अपने पड़ोसी के खाते से 1000 रुपए नकली हस्ताक्षर करके निकलवाए यही से नटवरलाल बनने की कहानी स्टार्ट हुई।
नटवरलाल के बारे में बता दे कि एक बार उनके पड़ोस के गांव में राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद आए जोसमय राष्ट्रपति थे , नटवरलाल को भी उनसे मिलने का मौका मिला और उन्होंने अपनी प्रतिभा का जलवा दिखाते हुए बताया कि मैं आपके भी हस्ताक्षर कर सकता हूँ, इसने राष्ट्रपति से निवेदन किया की भारत पर विदेशो का जितना भी कर्जा हैं वो में चूका सकता हूँ और उनको कर्जदार बना सकता हूँ लेकिन डाक्टर राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि नटवरलाल तुम काफी ज्यादा प्रतिभाशाली हो लेकिन इसका उपयोग आप सकारात्मक काम में करो तब इन्होंने नौकरी का एक ऑफर दिया लेकिन नटवरलाल ने उसको ठुकरा दिया था।
इसके बाद में 1970 से लेकर 90 तक इसने ठगी के कई सारे काम किये, करोड़ों रुपए की ठगी करी, सैकड़ों को इन्होंने लूटा, टाटा बिरला से लेकर धीरूभाई अंबानी जैसे लोगों को मोटी रकम वसूल कर लेता था ,वह नकली चेक से चुना लगा देता था।
आपको बता दें कि इसने राष्ट्रपति के फर्जी हस्ताक्षर करके और राष्ट्रपति भवन को बेच दिया था इसके बाद संसद भवन बेचा, दो बार लाल किला और तीन बार ताजमहल को बेच दिया था इसके बाद में यह काफी बड़ा अपराधी बन चुका था इसके नाम 8 राज्य में 100 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं पुलिस ने इसको 9 बार पकड़ा इस को 111 साल की सजा हुई थी लेकिन यह बहुत बार चकमा देकर भाग गया था। इस खबर से सबंधित सवालों के लिए कमेंट करके बताये और ऐसी खबरे पढ़ने के लिए हमें फॉलो करना ना भूलें - धन्यवाद।